मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

खेलप्रेमियों की भावनाओं पर भी है पैसा भारी...

करीब दो साल पहले 22 सिंतबर, 2007 को कोलकाता में एक बड़ा जनसमूह सड़कों पर उतरा था। लोगों ने पुलिस विरोध में थाने पर ईंट-पत्थर बरसाए थे और बाहर खड़ी गाड़ियों और 8 बसों में आग लगा दी थी। पथराव में करीब 17 पुलिसकर्मी और विरोध कर रहे 24 मुस्लिम युवक गंभीर रूप से घायल हुए थे। मामला था एक मुस्लिम लड़के को एक उद्योगपति के दबाव में पुलिस प्रताड़ना से आत्महत्या के लिए उकसाने का। कसूर सिर्फ इतना था कि मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवार के रिजवान-उर-रहमान और उस उद्योगपति की बेटी प्रियंका एक-दूसरे से बेहद प्यार करते थे और दोनों ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी कर ली थी। जब उस अमीर बाप को पता चला तो उसने पैसे और पहुंच के दम पर लड़के पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। पुलिस ने चोरी और अपहरण के झूठे केस दायर करने की धमकियां दी और लड़की को जबरन अपने घर भेज दिया गया। रहमान और उसके घरवालों को डराया धमकाया गया। कुछ दिन बाद अचानक रिजवान-उर-रहमान की लाश पटरी के पास मिली। पुलिस ने इसे आत्महत्या कहा तो घर वालों ने इसे हत्या बताया। इस तरह यहां प्यार पर पैसा, पहुंच और धर्म भारी पड़े। शहर में भारी विरोध-प्रदर्शन के चलते इसे मीडिया कवरेज मिली और हाई कोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंपा। साथ ही पांच दोषी पुलिस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से हटाया गया। मामले ने राजनीतिक तूल भी पकड़ा और सभी को कोलकाता के 27 फीसदी मुस्लिम वोटरों की फि क्र सताने लगी। साथ ही इस घटना ने कोलकाता में हिंदू-मुस्लिम संबंधों में भी खटास घोलने का काम किया।

यही शहर कोलकाता। खेल और खिलाड़ियों का दीवाना शहर, कोलकाता। चाहे फुटबॉल हो या फिर क्रिकेट। इन खेलप्रेमियों से ही तो खेल और खिलाड़ियों में जोश भरता है। हाल में ईडन गार्डन्स में टेस्ट मैच को ही ले लें। दुनिया भर के लोग मैच के रोमांच से ज्यादा, यहां खेलप्रेमियों की भीड़ देखकर चकित हुए। यह खेल प्रेमी ही तो हैं जो शाहरुख के बांग्ला में कोरबो-लोड़बो-जीतबो रे. भर बोल देने से टीम के समर्थन में उमड़ पड़ते हैं। शाहरुख की कोलकाता नाइटराइडर्स टीम की जीत के लिए यज्ञ-कुंड सजा देते हैं, मैच के दौरान नाइटराइडर्स के रंग में शरीर पुतवा लेते हैं और टीम के खराब प्रदर्शन के बावजूद भी शाहरुख की जेब में करोड़ों का मुनाफा डाल जाते हैं। मगर शाहरुख खान साहब तो सिर्फ पैसा कमाने की अंधी दौड़ दौड़ रहे हैं और उनके लिए खेल भी इसी का हिस्सा है। शाहरुख खान हाल ही में एक अंडरगारमेंट्स बनाने वाली कम्पनी के ब्रांड अंबेसडर बने और पैसों के लेन-देन के साथ तय हुआ कि केकेआर टीम की ड्रैस पर उसी कंपनी का लोगो लगाया जाएगा। वही कंपनी जिसके मालिक कोलकातावासियों की नजरों में गुनाहगार हैं। कंपनी है लक्स कॉजी और मालिक हैं अशोक और प्रदीप टोडी। वही अशोक टोडी जिसने धन और बल के दम अपने मुस्लिम कथित दामाद रिजवान-उर-रहमान को या तो दबाव डालकर आत्महत्या के लिए उकसाया या फिर हत्या करवा दी। एक घर के इकलौते चिराग को बुझाने और लाखों हिंदू-मुस्लिमों के आपसी संबंधों में जहर घोलने वाले अशोक टोडी से शाहरुख ने हाथ मिलाया। वो भी उस टीम के लिए जिसे कोलकातावासी बेहद प्यार करते हैं।लोगों के विरोध के चलते शाहरुख ने तीन दिन बाद टोडी बंधुओं से नाता तो तोड़ लिया मगर इससे खेल और इसके जरिए होने वाले प्रचार में कहां तक खेलप्रेमियों की भावनाओं का ख्याल रखा जाता है, यह सवाल सबके सामने छोड़ दिया। अक्सर खेल के जरिए पैसे बटोरने की धुन में यह भुला दिया जाता है कि खेलप्रेमियों की वजह से ही तो खेल दुधारू गाय बन पायी है। उन्हीं की वजह से तो तमाम विज्ञापनदाताओं की होड़ लगती है। आज खेलों के संचालक और मालिक वे लोग बन रहे हैं जो टाइम या फ़ोर्ब्स जैसी पत्रिकाओं की सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में शीर्ष स्थान पाने की चाह रखते हैं। उनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ पैसा बटोरना है और खेलप्रेमियों की भावनाओं और समाज पर इसके असर से कोई लेना-देना नहीं। निश्चित तौर पर खेलों में पैसा आने से खेलों का विकास हो रहा है और खिलाड़ी भी सम्पन्नता हासिल कर रहे हैं। मगर आखिर कहां तक खेलों में पैसे को शामिल किया जाए? क्या इसकी सीमा तय करना जरूरी नहीं है? कहा जाता है कि जहाँ ज्यादा पैसा होता है वह नैतिकता और लोंगो के हितों को अक्सर नज़रन्दाज किया जाता है। खेल में भी शायद यही हो रहा है।

अक्सर खेलप्रेमियों कि भावनाएं आहत होती हैं. वे हर उस चीज से आहत होते हैं जो खेल को नुकसान पहुंचाती है। उस खेल से जुड़े हर खिलाड़ी जिसे लोग पसंद करते हैं, करोड़ों का आदर्श होता है। उससे जुड़ी हर चीज समाज पर असर डालती है। मगर अक्सर देखने में आता है कि खिलाड़ी अपने व्यवहार से समाज पर हो रहे असर को भूल जाते हैं। वे भूल जाते हैं कि उनके एक-एक कृत्य से लोग प्रभावित होते हैं। वे दुखी होते हैं जब आईपीएल में श्रीसंथ को हरभजन के थप्पड़ के बाद बिलखकर रोते हुए देखते हैं और वे आक्रोश में भर जाते हैं जब साइमंड्स भज्जी पर नस्लवादी टिप्पणी का आरोप लगाते हैं। साथ ही जब इन खेलप्रेमियों को टाइगर वुड्स के सेक्स स्केंडल का पता चलता है तो उनके चेहरे लटक जाते हैं जो टाइगर को अपना आदर्श मानकर चल रहे थे। यह इसलिए होता है क्योंकि वे उस खेल को बेहद प्यार करते हैं जिसे ये तमाम खिलाड़ी खेलते हैं। खेल से प्यार का ही तो नतीजा है कि ये खेलप्रेमी इन खिलाड़ियों से अपार उम्मीदें लगाए बैठते हैं और जब खिलाड़ी इन पर खरा नहीं उतरते हैं तो वे उन्हीं के पुतले फूंकने और घर की दीवारों पर कालिख पोतने में भी देर नहीं लगाते हैं। जैसा कि 2003 के विश्व कप के शुरुआती खराब प्रदर्शन के बाद हुआ था। और इसी का असर कहें कि फिर टीम फाइनल में भी पहुंचती है
खैर जो भी हो भारत में खेलों का दायरा तो बढ रहा है मगर खेलों को समाज के लिए हितकारी बनाए रखने के लिए इसमें पैसे को शामिल करने की सीमा होनी चाहिए. साथ ही इसके जरिये प्रचार में भी खेलप्रेमियों की भावनाओ का ध्यान रखा जाये जैसा की दो साल पहले विडियोकोन ने किया. २००७ के विश्व कप में भारतीय क्रिकेट टीम सेमीफ़ाइनल में भी नही पंहुच पाई थी.देश के क्रिकेट प्रेमियों में काफी आक्रोश देखा गया था। खिलाडियों के पुतले जलाये गए। मामले की नजाकत को देखते हुए विडियोकोन ने कुछ दिन के लिए उन तमाम विज्ञापनों को दिखने पर रोक लगा दी थी जिनमें ये खिलाडी थे। यह खेलप्रेमियों की भवनाओं की क़द्र का एक सही उदाहरण था।

4 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतर है।
    बेहतरीन हो सकता था।
    शुरू के तीन पैरा बेहद बांध कर रखते हैं, उसके बाद उलझाव या कुछ अस्पष्टता है।

    .....लिखना जारी रखो।

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  2. Nice readable entry. You have connected a lot many issues in convincing way.
    Just feel that you could also have commented on sports entering into drawing rooms from fields. If you make sports entertainment the people behind catering your need, are bound to manipulate things accordingly.

    regards

    Samir
    Personal blog: http://kavyayani.wordpress.com
    (comment came through mail.)

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  3. good one......

    technical knowledge to nahi mujhe but........post acha hai....

    sab paise ka khel hai bhai logo.............

    sukh sagar
    http://discussiondarbar.blogspot.com/

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  4. gud..muze pata nahi tha ki tum b likh sakte ho...bt nice shuruat....

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