गुरुवार, 18 मार्च 2010

सुविधाओं से सुधरता है प्रदर्शन........

हाल ही में भारत ने दिल्ली में हॉकी विश्व कप की सफल मेजबानी की। सुरक्षा से लेकर व्यवस्था तक सभी मामलों में भारत एक अच्छा मेजबान साबित हुआ। मगर मेजबान देश का खेलों में प्रदर्शन भी उसकी मेजबानी का एक हिस्सा होता है। व्यवस्थाओं के साथ उम्दा प्रदर्शन कर की जाने वाली मेजबानी, जो बीजिंग ओलंपिक में चीन ने दुनिया के सामने पेश की थी। राजधानी में राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन को ठीक 199 दिन बचे हैं और 12 दिन के इस खेल उत्सव के लिए दुनिया भर के एथलीट खुद को तैयार कर रहे हैं। राष्ट्रमंडल खेलों से पहले होने वाली कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप के जरिए खिलाडिय़ों की तैयारियों को आंकने का मौका मिल रहा है। भारत के लिए पहले शूटिंग और अब बॉक्सिंग में युवा खिलाडिय़ों ने मेडल जीत कर अच्छे प्रदर्शन की आशाएं जगाई हैं।

वर्ल्ड बॉक्सिंग में शीर्ष पर खड़े विजेंद्र ने अपने प्रदर्शन से बॉक्सिंग में जान डाली है। बीजिंग ओलंपिक में बॉक्सिंग में पहली बार देश को पदक दिलाने वाले इस युवा बॉक्सर ने दिल्ली में कॉमनवेल्थ चैम्पियंशिप में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। भिवानी के विजेंद्र सिंह बेनीवाल ने इंग्लैंड के फ्रैं बग्लियनी को 75 किलो भार श्रेणी में हरा कर यह मेडल अपने नाम किया है मुकाबले के दौरान विजेंद्र के नाक से खून बह रहा था मगर फिर भी विजेंद्र ने 13-3 के बड़े अंतर से विरोधी को मात दी। विजेंद्र के साथ-साथ इस चैम्पियशिप में एशियन कांस्य पदक विजेता परमजीत समोटा, एशियन चैम्पियन रहे मणिपुरी सुरंजोय सिंह और विश्व कप में कांस्य पदक जीतने वाले दिनेश कुमार, जय भगवान और अमनदीप सिंह ने भी में देश के लिए सोना जीता है दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम मे चल रही इस चैम्पियनशिप में भारत ने बॉक्सिंग में सभी श्रेणियों में गोल्ड मेडल जीत कर नम्बर एक स्थान भी हासिल किया है।

बॉक्सिंग चैम्पियनशिप से पहले दिल्ली में ही तुगलकाबाद स्थित डॉ करणी सिंह शूटिंग रेंज में कॉमनवेल्थ शूटिंग चैम्पियनशिप में भारतीय निशानेबाजों ने भी अपनी तैयारियों नुमाइश की थी। शूटिंग में भारत ने 23 गोल्ड, 17 सिल्वर और 9 कांस्य पदकों पर कब्जा किया भारतीय शूटरों के इस प्रदर्शन को अपने पिछले प्रदर्शन से बेहतर माना गया। पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स (मेलबर्न, 2006) में 16 गोल्ड, 7 सिल्वर और 4 कांस्य पदक जीते थे। हालांकि इस चैम्पिनशिप में ओलम्पिक मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा, एथेंस खेलों में सिल्वर मेडलिस्ट राज्यवर्धन सिंह राठौर, डबल ट्रैप में विश्व रिकॉर्ड कायम करने वाले रोंजन सोधी, और इस सीजन के ट्रैप शूटर रहे मानशेर सिंह और अनवर सुल्तान शामिल नहीं हुए, फिर भी भारत इस चैम्पियनशिप में पहले नंबर पर रहा है। गगन नारंग ने भारतीय शूटिंग की अगुवाई करते हुए तीन राइफल मुकाबलों में चार गोल्ड और दो सिल्वर मेडर अपने नाम किए। पिछले राष्ट्रमंडल खेलों के भारतीय हीरो समरेश जंग पिस्टल शूंिटंग में तीन गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब हुए हैं। साथ ही विजय कुमार सिंह ने शूटिंग की दो श्रेणियों में चार गोल्ड हासिल किए। मजे की बात यह कि पूरी दुनिया में रेपिड फायर श्रेणी में भारत का मुकाबला करने के लिए कोई देश नहीं था। संजीव राजपूत और गुरप्रीत सिंह ने भी दो-दो गोल्ड मेडल अपने नाम किए हैं। महिला शूटरो में स्वेता चौधरी ने एयर पिस्टल में दो गोल्ड, अनिसा सैय्यद खान ने स्पोर्ट पिस्टल में दो गोल्ड और मीना कुमारी ने भी पदक अपने नाम किए हैं।

कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप को राष्ट्रंमंडल खेलों से पहले खुद को और दुनिया की दूसरी टीमों को जांचने-परखने का आखिरी मौका माना जा रहा है। इन दोनों ही खेलों में भारत पहले स्थान पर रहा है, जो मेजबान के रूप में एक अच्छी खबर है। खिलाडिय़ों को राष्ट्रमंडल खेलों के चलते विश्व स्तर का इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं मिलने लगी हैं और प्रदर्शन में सुधार शायद इसी का नतीजा है। पिछले कुछ समय से अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में लगातार अच्छे प्रदर्शन के चलते आज ही परसेप्ट लिमिटेड कंपनी ने विजेंद्र, दिनेश, सुरंजोय, जयभगवान और बलबिंदर बेनीवाल से तीन साल के लिए मार्केटिंग डील की है। इसमें कोई शक नहीं है कि प्रदर्शन में सुधार करके ही प्रायोजकों का ध्यान खींचा जा सकता है। मगर दूसरी ओर खिलाडिय़ों के प्रति सरकार और खेल संघ अधिकारियों का नजरअंदाज करने वाला रबैया भी लगातार सामने आ रहा है। भारतीय महिला हॉकी टीम की स्टार खिलाड़ी ममता खरब जब भोपाल में प्रैक्टिस के दौरान चोटिल हो जाती है तो उसे खुद अपने खर्चे पर घुटने का ऑप्रेशन करवाना पड़ता है। हॉकी इंडिया या खेल मंत्रालय की तरफ से इस खिलाड़ी की सुध लेने वाला कोई नहीं है। कम से कम खेलों के इतने बड़े आयोजन से पहले तो सरकार और खेल संघ अपना रबैया बदलें, नहीं तो इन प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों को अपने ही घर में ही दुनिया से हारता देखने में भी कोई हैरानी न हो।

3 टिप्‍पणियां:

  1. अब धीरे - धीरे लेखक की लेखनी में संतुलन आ रहा है।
    फुटरी बात है।
    पूरी तरह से विषय-वस्तु मुहैया कराई है, जो कि खेल ब्लॉगरों में कम ही देखने को मिलती है।

    मुझे लेख की अंतिम पंक्तियां पसंद आई। इन्ही को आधार बनाकर विश्लेषण और सशक्त किया जा सकता था। खैर, एक तरह से यह लेख 'सुविधाओं से सुधरता है प्रदर्शन' को इतना ज्यादा भी सिद्ध नहीं करता है। हालांकि हाल के बड़े खेल आयोजनों के उदाहरण से लेखक ने अपनी बाद की झांकियां हमें जरूर दिखाई है।

    अंग्रेजी में जिसे 'इन-डेप्थ एनालिसिस' कहते हैं, यानी 'अंदरूनी परतों का विश्लेषण'.. बस उसी की कमी रही। तकनीकी पहलुओं की बात करें तो पहला शब्द लेख के शीर्षक के आकार से भी ज्यादा बड़ा हो गया है। मुझे अच्छा लगा कि महिला हॉकी, मुक्केबाजी और हॉकी समेत अन्य खेलों पर लेख आईपीएल सर्कस के वक्त आया है। वाकई में यह लोकप्रियता को प्रभावित करने वाला जोखम है। अभी के हुए खेल आयोजनों का सिंहावलोकन और सरसरी निगाह दोनों ही लेख से हो गए।

    आशा है कि अगली बार किसी खेल विशेष या आयोजन विशेष पर परतदार विश्लेषण होगा।
    सौम्यता से लिखते रहो।
    पर ध्यान रहे। कलम में से हल्की-हल्की भाप भी उड़ती रहे।

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  2. haan wo to hai.........performance and facility is directly proportional to successes......in sports.

    aaj k post me dainik jagran wali mehak a rahi thi......wo bhi kuch isi andaj me likhte hai.....

    sukh sagar
    http://discussiondarbar.blogspot.com/

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  3. to fir dainik jagran me cv bhej du naukri ke liye??
    anyways thanks a lot brother..

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