बुधवार, 6 जनवरी 2010

बल्लेबाजी में आक्रामकता, फील्डिंग में तेंदुए सा लचीलापन


मैं
चीजों का एक-एक करके सामना करना पसंद करता हूं, कभी भी दूरगामी या लॉन्ग टर्म लक्ष्य नहीं रखता हूंशायद कोई भी ऐसा नहीं कर पाता है क्योंकि आप इंसान हैं और सफलता के लिए आपका आज की दुनिया में ही
जीने में विश्वास करता हूँअपनी सीमाओं और सामर्थ्य को जानना सबसे जरुरी है।

गौतम गंभीर एक ऐसा खिलाड़ी जो हमेशा विपक्षी टीम पर हावी होना चाहता है। अपने आक्रमक खेल और कभी
बेहद स्टाइलिश और क्लासिक शॉट्स के जरिए। गंभीर के ये शॉट्स कभी-कभी पहले से निर्धारित भी होते हैं मगर ज्यादातर चैम्पियन माफिक खेलते समय ही निकल कर आते हैं। गंभीर की गंभीरता किसी भी परिस्थिति में हार मानने और हमेशा बेहतर करने में झलकती है। चाहे खेल का कोई भी रूप हो, इस खिलाडी का बल्ला रन निकालने के लिए हमेशा आतुर रहता है।

बात करें साल २००९ की तो गौतम गंभीर के लिए यह साल कुछ खास रहा है। इस साल में गंभीर का उम्दा
प्रदर्शन, उनके आगामी करियर के बेहतरीन होने की प्रमाणिकता है। 28 साल के इस जोशीले खिलाड़ी ने हर उस समय रन बनाए हैं जब जरुरत ज्यादा थी, हर उस टीम के विरुद्ध बनाए हैं जिसका दुनिया की क्रिकेट में कद बड़ा है और हर उन परिस्थितियों में बनाएं है जहां खेलना दुनिया के नामचीन बल्लेवाजों के लिए एक बड़ी चुनौती रही है।

दुनिया
के बेहतरीन गेंदबाजों को अपने बल्ले की धार से घुटने टेकने पर मजबूर करने वाले गंभीर कहते हैं कि
मजा आता है जब अच्छे गेंदबाजों की गेंद को बांउडरी पार पहुंचाता हूं।
हाल
ही में एक खेल पत्रिका को दिए इंटरव्यू में गंभीर ने बताया कि २०१० का प्रदर्शन उनकी वर्ल्ड कप की तैयारियों को पुख्ता करेगा हर बार मैदान पर उतरना अपना पहला मैच खेलने के लिए उतरने जैसा होता है और मैं खेलते समय अपनी मेहनत जो इस स्तर तक पहुंचने के लिए की है, हमेशा ध्यान रखता हूं। वहीं से मुझे रन बनाने और अपना सौ फीसदी देने का हिम्मत मिलती है। स्कूली स्तर से ही गंभीर में खेल के प्रति गंभीरता और सकारात्मकता रही है जो आज इस क्रिकेटर को विश्व स्तर का खिलाड़ी बनाती है।

मुझे
विश्व स्तर का खिलाड़ी सुन कर उतना अच्छा लगता है क्योंकि मेरा सामर्थ्य सिर्फ इतना ही नहीं है। अभी बहुत सी ऐसी चीजें करना वाकी है जिन्हें मैने बचपन से संजो कर रखा है। मैं दुनिया का एक ऐसा खिलाड़ी बनना चाहता हूं जिसका प्रदर्शन मैच जिताऊ पारियों के लिए याद किया जाए। हर जीत में मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूं।
गंभीर की खास उपल्बिधयां-
टेस्ट में 8 शतक, 56.73 की औसत से
वनडे में 7 शतक 38.10 की औसत से
टी-20 में 6 अर्धशतको के साथ 30.66 की औसत
अवॉर्ड- अर्जुन अवॉर्ड 2008
बेस्ट टेस्ट क्रिकेटर ऑफ ईयर 2009


इस युवा बाएं हाथ के आक्रमक खिलाड़ी के लिए हमेशा ही उसका बल्ला हर जवाब देता रहा है। इसी के जरिए यह खिलाड़ी बताता है कि कि वह एक कर्मठ और कमिटेड खिलाड़ी है। पहली गेंद से गेंदबाज पर हावी हो जाने पर आप च्छा महसूस करते है और आपको कुछ नया रना का समय भी मिल जाता है। यही गंभीर के खेल की फिलोसफी है।

जिस
गंभीर को हम पिच पर शांति से रन चुराते और विपक्षी खिलाडिय़ों पर ध्यान देते देखते हैं, असल में गंभीर का वह असली रूप नहीं हैं। यह तो सिर्फ एकाग्रता कायम रखने का तरीका मात्र है। क्या आप भूल गए शाहिद अफरीदी की बदतमीजी का उसी की जुबां में जवाब देते उस अक्रामक गंभीर को?? उसी घटना के बारे में गंभीर कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि उस समय मुझे क्या हो गया था। मैं अक्सर इन चीजों को बड़े ह्ल्के में लेता हूं। जो भी हो उस दिन अफरीदी को एक बड़ा पाठ गंभीर ने यकीनन सिखा दिया था।

बीते
साल २००९ में गंभीर ने एक प्रण लिया था, अपने अतीत से सीखने का। जब भी एक नई पारी खेलने के लिए तैयार होता सहावा मुझे इस प्रण अवगत करा देते थे, और ऐसे में जीतना ही दिमाग में रहता है। अपने अतीत को भूलना सही नहीं होता है यदि आपको आगे बढऩा है। २००४ में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने पहले मैच मिली उस कैप को हमेशा साथ रखता हूं इस मैच में पहली पारी में बनाए और दूसरी पारी में रन को याद रखता हूं। इससे मुझे अपनी विकेट की अहमियत का अहसास होता है।

साल
२००९ में गंभीर के प्रदर्शन पर नजर डालें तोगंभीरने टेस्ट मैच खेल हैं, कुल नौ पारियां। इनमें "इस
खिलाडी नें चार शतक और एक अर्धशतक जड़ा है। शतकों में दो न्यूजीलैंड और दो श्रीलंका के खिलाफ रहे। मैदान पर गंभीर द्वारा खेले गये हर शॉट को साथी खिलाड़ी और विपक्षी खिलाड़ी ने सराहा।गंभीर के साल भर के खेल की सराहना में उन्हीं के आदर्श सहवा सबसे आगे रहे। सहवा से मिली तारीफ से गंभीर के लिए एक अल तरह की प्रेरणा पाते हैं। इसी प्रदर्शन के कारण गंभीर ने आईसीसी टेस्ट प्लेयर ऑफ ईयर का खिताब जीता। साथ ही गंभीर को अपने खेल के लिए 2008 में अर्जुन अवॉर्ड में मिल चुका है।
मैदान
के बीच पहुंचते ही अपने खेल से यह खिलाडी दर्शकों के लिए एक बड़ा आर्कषण बन जाता है। जहां बल्लेवाजी में आक्रामकता दिखती है तो वहीं फील्डिंग में तेंदुए सा लचीलापन और फुर्ती खेल में जान दल देती हैक्रिकेट की उनमें अपार समझ है और दिल्ली ड्रेसिंग रूम में अपनी नेतृत्व क्षमता को पहले ही साबित कर चुके हैं। २००८ में दिल्ली द्वारा जीते गये रणजी खिताफ के लिए निर्णायक मुकाबलों में गंभीर का प्रदर्शन इसी क्षमता का एक सर्टिफिकेट है।



2 टिप्‍पणियां:

  1. Good one.
    so..
    1. continue writing.
    2. continue...
    3. don't tke much gap...and continue..

    that will do all..
    and one more thing make the font and color of your blog more soothing and gentle...even a sporty look will work.

    go for vrious sports magzines..
    I would like to know more facts and his family.
    I would then like to read it in a compelling language...

    best wishes..
    Gajendra Singh Bhati

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